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संकल्पना
मूल्य प्रशासन, इमदाद/रियायत योजनाओं आदि के पहलुओं पर निर्णय लेते समय निर्मित उत्पादों के लिए उचित लागत / मूल्य का अनुमान लगाना आवश्यक होता है। विनिर्मित उत्पादों की उत्पादन लागत में कच्चे माल की खपत, ऊर्जा की लागत जैसे बिजली, भाप और अन्य उपयोगिता सेवाएं, रूपांतरण लागत, पैकिंग लागत आदि शामिल होती हैं। भाड़ा और अन्य बिक्री की लागत, बिक्री लागत में शामिल होती हैं। किसी विनिर्माण ईकाई द्वारा एक लागत अवधि जैसे कि एक वर्ष के लिए किसी उत्पाद के उत्पादन पर आई लागतों का आकलन करने से उत्पादन/बिक्री की वास्तविक लागत का पता चलता है। चूंकि यह आवश्यक नहीं है कि विनिर्माण इकाइयां कुशल तरीके से संचालित की गई हों, इसलिए उत्पादन / बिक्री की वास्तविक लागत पर आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली में प्रचालन की दक्षता में सुधार पर जोर दिए जाने का अभाव होता है। इस संदर्भ में, मानक लागत / मूल्य प्रणाली पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है और इसका व्यापक रूप से प्रशुल्क आयोग (और पहले औद्योगिक लागत और मूल्य ब्यूरो जिसका कि प्रशुल्क आयोग में विलय हो गया है) द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
मानक मूल्य निर्धारण, दक्षता मानदण्डों के स्वीकार्य स्तर पर लागत के आकलन किए जाने पर आधारित है। लागत पर असर डालने वाले महत्वपूर्ण मानदण्ड, क्षमता, क्षमता उपयोग और उत्पादन स्तर, कच्चे माल की खपत, ऊर्जा की खपत आदि हैं। विनिर्माण इकाईयों के निष्पाद्य कुशल मानदण्डों के आकलन हेतु भिन्न-भिन्न अवधियों में उनके कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जाता है और उद्योग की अन्य कुशल इकाइयों के कार्यनिष्पादन और अंतर्राष्ट्रीय कौशल आदि की तुलना में उनकी बेंचमार्किंग की जाती है। मानक मूल्य पर पहुंचने के लिए निवेश पर उचित प्रतिफल भी उपलब्ध कराया जाता है। चूंकि मानक मूल्य निर्धारण, अपनाए गए दक्षता मानकों पर आधारित है अत: अकुशल इकाइयों को अपनी दक्षता में सुधार करने की आवश्यकता है। साथ ही निर्माण इकाइयाँ जो उच्च क्षमता प्राप्त करने में सक्षम हैं, वे उन से प्राप्त होने वाले लाभों को कायम रखने में सक्षम होंगी। इस प्रकार से मानक मूल्य निर्धारण प्रणाली, उच्चतर क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है । इस प्रकार लागत में कमी पर जोर दिया जाता है और उद्योग की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जाता है।
विधि
मानक लागत / मूल्य का आकलन करने की विधि, भौतिक इनपुट / आउट मानदंड (तकनीकी मानकों) के अनुमान से शुरू होती है। स्थापित क्षमता, उत्पादन, क्षमता उपयोग, विशिष्ट कच्चे माल की खपत, उपयोगिता की खपत और मानव / मशीन उत्पादकता, उत्पाद के उत्पादन की लागत को प्रभावित करने वाले प्रमुख मानदण्ड हैं। उपरोक्त मानदण्डों के लिए समुचित दक्षता स्तर पर उत्पादन की सामान्य लागत का अनुमान लगाने के लिए पिछले 3 से 5 वर्षों में चयनित इकाइयों / संयंत्रों के वास्तविक कार्य निष्पादन के आधार पर तकनीकी मानक तैयार किए गए हैं।
तकनीकी मानकों को, तब उत्पादन की मानक लागत को तैयार करने के लिए प्रत्येक चयनित इकाई के उत्पाद के उत्पादन / बिक्री (लागत निर्धारण वर्ष) की वास्तविक लागत पर लागू किया जाता है। उत्पादन की वास्तविक लागत में कच्चे माल की लागत, रूपांतरण लागत और पैकिंग लागत शामिल होती हैं।बिक्री लागत प्राप्त करने के लिए उत्पादन लागत में माल ढुलाई और अन्य लागतों को जोड़ा जाता है। रूपांतरण लागत में ऊर्जा और ईंधन (उपयोगिता लागत), वेतन और मजदूरी, मरम्मत और रखरखाव, स्टोर और कलपुर्जों, मूल्यह्रास, कारखाने और प्रशासनिक ऊपरीशीर्ष शामिल हैं। चयनित इकाइयों/संयंत्रों में से प्रत्येक के लिए उत्पादन की मानक लागत का अनुमान लगाते हुए निम्नलिखित मानदण्डों को ध्यान में रखा जाता है:
स्थापित क्षमता और क्षमता उपयोग मानकों का आकलन
निष्पाद्य सामान्य उत्पादन का आकलन
कच्चे माल की खपत की सामान्य आवश्यकता
उपयोगिता की खपत की सामान्य आवश्यकता
जनशक्ति उत्पादकता की सामान्य आवश्यकता
ऊपरीशीर्षों की सामान्य आवश्यकता
कच्चे माल और उपयोगिता के नवीनतम मूल्यों पर विचार करते हुए कच्चे माल और उपयोगिता की लागत को अद्यतन करते समय, आयातित इनपुटों के मूल्यों को, जहां भी लागू हो, रुपये की वर्तमान परिवर्तनीयता के आधार पर समायोजित किया जाता है।
सामान्य वेतन वृद्धि के प्रभाव का ध्यान रखने के लिए वेतन और मजदूरी में वार्षिक वृद्धि प्रदान की जाती है।
रूपांतरण लागत में शामिल मरम्मत और रखरखाव, कारखाने और प्रशासनिक ऊपरी शीर्षों को निश्चित और परिवर्तनीय लागत में उपयुक्त रूप से समायोजित किया जाता है।
उपरोक्त मानदण्डों पर विचार करते हुए प्रत्येक इकाई के उत्पाद के उत्पादन की सामान्य लागत की गणना की जाती है।
प्रत्येक इकाई के उत्पाद के सामान्य मूल्य का आकलन, सामान्य उत्पादन लागत, नियोजित पूंजी पर ब्याज और प्रतिफल के आधार पर किया जाता है:
नियोजित पूंजी पर प्रतिफल में शुद्ध स्थिर परिसंपत्तियां और कार्यशील पूंजी शामिल हैं। शुद्ध अचल संपत्ति में ऋण / कर्ज़ और इक्विटी शामिल हैं। आम तौर पर, नियोजित पूंजी पर प्रतिफल, 12% कर पश्चात माना जाता है।
अवधि के दौरान प्रचलित औसत ब्याज दर, मियादी ऋणों और कार्यशील पूंजी के लिए माना जाता है।
उद्योग का मानक मूल्य निम्नानुसार निकाला जाता है:
चयनित इकाइयों के उत्पाद के भारित औसत मूल्य के आधार पर या
उद्योग की अक्षम इकाइयों को छोड़कर कुशल इकाइयों के आधार पर
डीपीआईआईटी
अध्ययन क्षेत्र और क्षमता
अध्ययन (सेक्टर वार)
ऑनगोइंग स्टडीज
संग्रह
राजभाषा
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