पृष्ठभूमि
- प्रशुल्क बोर्ड: स्वतंत्रता से पहले की अवधि में, वाणिज्य मंत्रालय के तहत प्रशुल्क बोर्ड " घरेलू उद्योगों के संरक्षण के लिए आवश्यक उपायों पर सरकार को सलाह देने के लिए " अस्तित्व में था।
- प्रशुल्क आयोग ( 1951): प्रशुल्क आयोग की स्थापना, वर्ष 1951 में प्रशुल्क बोर्ड को प्रशुल्क कमीशन में परिवर्तित करके वैधानिक शक्तियों के साथ, प्रशुल्क कमीशन अधिनियम 1951 के तहत की गई थी और भारतीय उद्योगों हेतु सुरक्षा की सिफारिश करना, किसी भी माल के शुल्कों में परिवर्तन, माल की डंपिंग के संबंध में कार्रवाई और स्वत: अध्ययन करना इसके कार्य थे।
औद्योगिक लागत और मूल्य ब्यूरो (बीआईसीपी)
- भारत सरकार ने औद्योगिक विकास विभाग में प्रशासनिक सुधार आयोगों की सिफारिशों पर, दिनांक 15/1/1970 के संकल्प सं 42011/1/70 ई -1 द्वारा वर्ष 1970 में, आईडीआर अधिनियम के तहत वैधानिक शक्तियों के साथ, लागत में कमी करने, औद्योगिक दक्षता में सुधार और औद्योगिक लागत के संबंध में मूल्य निर्धारण की समस्याओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर जानकारी मांगने और सलाह देने के लिए औद्योगिक लागत और मूल्य ब्यूरो (बीआईसीपी) की स्थापना की थी। बीआईसीपी द्वारा लागत मूल्य और औद्योगिक दक्षता अध्ययन, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के औद्योगिक उत्पाद को कवर करते हैं । बीआईसीपी के कार्यों का दायरा सेवाओं , उपयोगिताओं और गैर-बाजार संगठनों को शामिल करने के लिए बढ़ाया गया ।
- बीआईसीपी को किसी भी उद्योग से संबंधित डेटा , रिकॉर्ड या दस्तावेज़ों के लिए मांग करने के लिए उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम 1951 की धारा 19 के तहत समुचित प्रशासनिक शक्तियों के साथ स्वतंत्र दर्जा प्राप्त था ।
- थोक औषधियों और उनके यौगिकों के लिए भी लागत मूल्य अध्ययन करना बीआईसीपी की सतत नियमित जिम्मेदारियों में से एक था। इसके अलावा, बीआईसीपी द्वारा ऊर्जा / जल लेखा परीक्षा और औद्योगिक उत्पादकता बढ़ाने और लागत को कम करने के उद्देश्य के साथ संसाधन कौशल के संबंध में अनुसंधान भी कराए जाते थे।
- बीआईसीपी को वहां स्वत: अध्ययन करने हेतु भी अधिकृत किया गया था जहां विशेष रूप से जांच करानी वांछनीय महसूस की जाती थी।
1951 प्रशुल्क कमीशन का निरसन
- प्रशुल्क आयोग को "प्रशुल्क आयोग (निरसन) अधिनियम, 1976" के तहत वर्ष 1976 में परिसमाप्त कर दिया गया था । सख्त आयात और विदेशी मुद्रा विनियमन के कारण, प्रशुल्क विनियमन के माध्यम से घरेलू उद्योग के संरक्षण की आवश्यकता ने महत्व खो दिया था और दूसरे राजकोषीय आयोग का अवलोकन था कि प्रशुल्क आयोग के कार्य काफी हद तक बीआईसीपी के समान थे। इस प्रकार से, बीआईसीपी प्रशुल्क आयोग के लिए एक उत्तराधिकारी के रूप में उभरा और अन्य बातों के साथ-साथ इसने प्रशुल्क अध्ययन किए और सरकार को प्रशुल्क सिफारिशें कीं ।
बीआईसीपी का पुनर्गठन
एनपीपीए का गठन
- 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की नीति की शुरुआत और विभिन्न प्रशुल्क नियामक प्राधिकरणों की स्थापना के साथ, भारत सरकार ने बीआईसीपी का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया।
- राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) का गठन दिनांक 29/8/1997 के संकल्प के द्वारा रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत अगस्त, 1997 में किया गया था और इसे औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के तहत थोक औषधियों और यौगिकों के मूल्य निर्धारण, संशोधन और अन्य संबंधित मामलों का कार्य सौंपा गया। बीआईसीपी से एनपीपीए को संबंधित जनशक्ति के साथ-साथ थोक औषध और यौगिकों से संबंधित कार्य भी हस्तांतरित किया गया।
अपने वर्तमान स्वरूप में प्रशुल्क आयोग
- विश्व व्यापार संगठन में सरकार की प्रतिबद्धताओं और प्रशुल्क और प्रशुल्क संबंधित मामलों में जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए, जो घरेलू उद्योग के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, देश के व्यापक आर्थिक हितों को ध्यान में रख कर, विभिन्न उत्पादों और विभिन्न उद्योगों के लिए टैरिफ के उचित स्तर की सिफारिश करने और प्रशुल्क संबंधित मामलों पर गौर करने के लिए, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (अब व्यापार संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत दिनांक 2 सितंबर, 1997 के संकल्प सं. ए-42012/24/91-ई-IV द्वारा एक स्वतंत्र प्रशुल्क आयोग का गठन किया गया था।
- प्रशुल्क आयोग को औद्योगिक (विकास और विनियमन) अधिनियम 1951 की धारा 19 के प्रावधान की तर्ज पर औद्योगिक उपक्रम के संबंध में किसी भी दस्तावेज, पुस्तकों, रजिस्टरों या रिकॉर्ड को प्रस्तुत करने का आदेश देने के लिए विनियोजित प्रशासनिक शक्तियों का प्राधिकार दिया गया है ।
बीआईसीपी का प्रशुल्क आयोग के साथ विलय
भारत में वर्तमान प्रशुल्क आयोग अपने पूर्ववर्ती संगठनों, नामत: प्रशुल्क बोर्ड, प्रशुल्क आयोग (पुराने), औद्योगिक लागत और मूल्य ब्यूरो (बीआईसीपी ) के कार्यों के शोधन और समामेलन का परिणाम है ।
